पतंग उड़ती नहीं, उड़ाई जाती है I
पतंग उड़ती नहीं, उड़ाई जाती है ।
पतंग उड़ती नहीं, उड़ाई जाती है ।
आग लगती नहीं, लगाई जाती है ॥
ज़िम्मेदारी इंसान को ज़िम्मेदार बनाती है ।
हर भूल अपना एक नतीजा लाती है ॥
उस तरफ जाकर, क्यों बार- बार ठोकर खाते हो?
राह ए हक़ीक़त को छोड़कर, क्यों खुद को गुमराह कराते हो?
क्या नज़र नहीं आता है कि खुद को नुकसान पहुँचाते हो?
या कर लिया है फैसला, मौत को हमराह बनाने को?
दिन को रात और रात को दिन क्यों कहते हो?
एक हसींन दास्तान को अधूरा क्यों रखना चाहते हो?
ज़िन्दगी का मज़ा ले लो, क्यों दुःख की आहे भरते हो?
तमाम उम्र है आगे, शुक्रिया अदा करके जीना सीखो ॥
पतंग उड़ती नहीं, उड़ाई जाती है ।
आग लगती नहीं, लगाई जाती है ॥
एरिक ए ट्रॉट
22nd March 2016
सोचा कि हर गलती को ज़िन्दगी में, आदत नहीं, सीढ़ी बना देंगे,
हमने सोचा
हमने सोचा कि हर मुश्किल को आसान कर देंगे,
पर मुश्किल को आसान करने की कोशिश में यह सीखा कि आसान को मुश्किल कर देंगे I
सोचा कि हर गलती को ज़िन्दगी में, आदत नहीं, सीढ़ी बना देंगे,
पर सीढ़ी चढ़ते, चढ़ते, शायद गलतियों की आदत से मजबूर खुद को बना देंगे I
एरिक ए ट्रॉट
16th March 2016
No comments:
Post a Comment